प्रिय पाठकों,
मकर संक्रांति का पर्व 14 जनवरी को मनाया जाता है. मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है और यह त्यौहार पूरे भारत में मनाया जाता है. माघ महीने में पड़ने वाला यह त्यौहार संपूर्ण भारत वर्ष में मनाया जाता है. इस दिन सूर्य धनु से मकर राशि में जाता है. इस दिन गंगा में स्नान करने को भी शुभ माना जाता है.
मकर संक्रांति के दिन दान करने की परंपरा है. दान करने वाली सामग्री में मुख्य रूप से खिचड़ी (दाल+चावल), गुड, तिल, इत्यादि हैं. उत्तर भारत के कुछ प्रदेशों में विवाहित महिलाएँ 14 चीज़ें दान करती हैं अपनी श्रद्धा और बजट के मुताबिक, जैसे की, साडी, बर्तन, खाने की सामग्री या फिर कुछ और..... बहुत सारे परिवारों में 14 अलग-अलग तरह के लड्डू बनाने की भी प्रथा है.
इसी समय पंजाब में लोहडी का त्यौहार भी मनाया जाता है, और दक्षिण भारत में पोंगल. तो इस त्यौहार पर चलिए हम भी बनाते हैं कुछ तिल से बनने वाले पारंपरिक और कुछ समकालीन व्यंजन......
संक्रांति की आप सभी को शुभकामनाएँ ,
शुचि
आयुर्वेद में तिल की बहुत प्रशंसा की गयी है. तिल में कैल्शियम बहुतायत में होता है, इसके साथ ही साथ इसमें फासफ़ोरस और कई प्रकार के खनिज और विटामिन भी होते हैं. तिल की बर्फी उत्तर भारत में सकट चौथ और संक्रांति पर बनाई जाती है. आप गुड़ के स्थान पर शक्कर का प्रयोग भी कर सकते हैं. इस बर्फी को बनाना बहुत आसान है. मैंने इसमें ऊपर से पिस्ता सजाया है जिससे बच्चे भी इसे खूब पसंद करते हैं..आगे पढ़ें...
तिल कुटा उत्तर प्रदेश में सकट चौथ और संक्रांति पर बनाया जाता है. इसको बनाना बहुत आसान होता है और खाने में भी लाजवाब... सफेद तिल कई प्रकार के पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है, इसमें ख़ासतौर पर कैल्शियम बहुतायत में होता है . तो आप भी बनाइए तिल कुटा.....
तिल से कई प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं. सफेद तिल से बनने वाले यह रोल पारंपरिक तो हैं ही समकालीन भी हैं. एक नये रूप में प्रस्तुत करे गये यह रोल बच्चों को भी खूब भाते हैं. तो आप भी बनाइए, तिल, काजू और गुड से नने वाले यह रोल्स और लिखना ना भूलें अपनी सलाह.....
कृत्रिम स्वादों से दूर प्राचीन, पारम्परिक और स्वादिष्ट भारतीय मिठाइयाँ जिन्हें गेहूँ के आटे, घी और शक्कर से बनाया गया है! आप भी बनाइये आटे का लड्डू , शकरपारे, आटे का शीरा और चूरमा!
आयुर्वेद में तिल की बहुत प्रशंसा की गयी है. तिल को कटु, मधुर और तिक्त रस युक्त बताया गया है. इसे पित्तनाशक और कफ नाशक भी बताया गया है. तिल में कैल्शियम बहुतायत में होता है, इसके साथ ही साथ इसमें फासफ़ोरस और कई प्रकार के खनिज और विटामिन भी होते हैं.बाज़ार में दो प्रकार के सफेद तिल आते हैं, एक महीन छिलके के साथ जो कि हल्का गुलाबी-भूरा होता है, और एक बिना छिलके के जो एकदम सफेद होता है. स्वास्थ्य के लिहाज से छिलके वाला तिल अति उत्तम है. छिल्के वाले तिल में कैल्शियम की मात्रा लगभग दोगुनी होती है. तिल से नाना प्रकार के पकवान बनाए जाते हैं. जैसे कि, मिठाइयाँ, नमकीन, करी, चटनी इत्यादि कई प्रकार की ब्रेड बनाने में भी इनका प्रयोग होता है.
पातरा/ पात्रा जिसे पतौड़े के नाम से भी जाना जाता है एक बहुत स्वादिष्ट और बहुत कम चिकनाई से बनने वाला नाश्ता है. पातरा को अरबी/ घुइयाँ के पत्तों से बनाया जाता है. गर्मी और बारिश के मौसम में यह पत्ते भारत में आसानी से सब्जी मंडी में मिल जाते हैं, लेकिन शायद विदेश में मिलना मुश्किल हो. मैं तो अपनी बगिया में गर्मी के मौसम में घुइयाँ/ अरबी उगाती हूँ जिससे हर 20-25 दिन में ताजे पत्ते आते रहते हैं और तीन चार बार तो सीजन में पातरा बन ही जाता है. वैसे आप विकल्प के तौर पर कोलार्ड के पत्ते से भी पातरा बनाने की कोशिश कर सकते हैं....read more...
आप शुचि के द्वारा लिखे कुछ लेख, और शुचि की रसोई के बारे में दूसरी वेबसाइट पर भी पढ़ सकते हैं. शुचि की रसोई को कुछ व्यंजन स्थानीय अखबार और मासिक पत्रिकाओं में नियमित रूप से प्रकाशित होते हैं, जिनमें मुख्य रूप से आयुर्वेद के, शाकाहारी व्यंजन, बागवानी, सेहत आदि विषयों से सम्बंधित लेख हैं. read more...
जीरा आलू, मसाला आलू, सूखे आलू या फिर आलू के गुटके- नाम चाहे जो भी हो लेकिन यह एक आलू की सब्जी उत्तर भारत की बहुत ही लोकप्रिय सूखी सब्जी है. उत्तर भारत में सूखे आलू अरहर की दाल-चावल और रोटी के साथ रोजाना में बनने वाली सब्जी है. आलू की सब्जी बच्चों को भी बहुत पसंद होती है. जीरा आलू को बनाना बहुत आसान है लेकिन स्वाद में यह लाजवाब है. वैसे तो आप में से बहुत सारे पाठक इस सब्जी से परिचित होंगे लेकिन आगे पढ़ें...
यहाँ हम आपको रसोई से सम्बंधित कुछ लेख बतायेंगें जैसे कि रसोई को अच्छे से व्यवस्थित करने के कुछ गुण, बर्तन को ठीक से व्यवस्थित करना, घर की बगिया में कुछ सब्सियों को उगने के गुण, घी तेल के गुण, कुछ मसालों के बारे में, कुछ और्वेद से सम्बंधित लेख, कुछ आज के विज्ञान और नयी शोध जिनसे बेहतर स्वस्थ जीवन को अपनाया जा सकता है आदि.
आमतौर पर लगभग सभी सब्जियों को आसानी से गमलों में उगा सकते हैं . साल २०१३ में हमें घर बदलना था तो हमने कई सब्जियों को गमलों में लगाया था और यह बहुत ही अच्छे से बढ़ी . मैंने कुछ फोटो भी ली हैं जिससे आपको भी घर पर सब्जी उगाने में इन फोटो से प्रोत्साहन मिले. इसी श्रंखला में हमने एक फोटो नीचे लगाई है जिसमें बैंगन गमले में उगाया गया है. आप गमले में सभी सब्जियों को उगा सकते हैं लेकिन जब भी हम किसी सब्जी को जमीं में लगते हैं तो इसकी जड़ों को फैलने के लिए...
रोज का खाना बहुत संतुष्टि दायक और स्वादिष्ट होता है इसकी कीमत ख़ास तौर पर तब समझ में आती है जब आप घर से दूर हों और बाहर का खाना खाएँ. नाना प्रकार के व्यंजन खाने के बाद याद आता है रोज का सीधा साधा स्वादिष्ट खाना- दाल- चावल-रोटी-सब्जी!! कही भी जाओ और कितने भी स्वादिष्ट व्यंजन खा लो लेकिन दो दिन बाद ही यह रोज का खाना याद आने लगता है. जो संतुष्टि और ....
गाजर और मिर्च का अचार स्वादिष्ट और चटपट बनने वाला अचार है जिसके लिए आपको बहुत ही कम मसलों कि जरूरत जो आमतौर पर सभी भारतीय घरों में इस्तेमाल होते हैं. इस अचार का आईडिया मुझे एक रेस्टोरेंट से मिला. कुछ समय पहले हमने शिकागो शहर में एक भारतीय रेस्टोरेंट में भरवाँ पराठे के साथ इसे खाया था. खाने में यह आचार बहुत स्वादिष्ट और अचार से ज्यादा सलाद के जैसा लग रहा था.....आगे पढ़ें ..
बिना प्याज लहसुन का खाना वैष्णव भोजन/खाना कहलाता है। कुछ जगहों पर इसे स्वामीनारायण भोजन भी कहते हैं। पूजा-पाठ और भगवन के खाने में विशेष रूप से प्याज लहसुन का प्रयोग किया जाता है। तीज- त्योहारों में और कई बार पार्टियों में भी ऐसा खाना बनाया जाता है, और ख़ास तौर पर व्रत के दिनों में भी।
हालांकि पौराणिक ग्रंथों में ऐसा लिखा है कि लहसुन अमृत तुल्य है (लहसुन का वर्णन देवासुर संग्राम के दौरान आता है - कहानी ये है कि जब समुद्र मंथन के बाद अमृत निकला तो राहु ने चुपके से उसे पीना चाहा। तब विष्णु जी ने उसका गला काट दिया। इस दौरान कुछ अमृत की बूँदें पृथ्वी पर छिटक गयीं, और उनसे बना लहसुन !) आयुर्वेद में भी लहसुन का कई जगह वर्णन है। लहसुन को बहुउपयोगी रसायन बताया गया है और इसके प्रयोग को उत्तम स्वास्थ्य हेतु आवश्यक बताया गया है।
तो मुझे प्याज लहसुन न खाने का जो कारण सबसे सटीक लगता है वो शायद इनकी महक का बहुत तेज होना है। तो शायद सल्फर की वजह से ही बहुत सारे शाकाहारी लोग प्याज लहसुन नहीं खाते हैं।
शुभकामनाओं के साथ
शुचि
आज हम यहाँ आपको मंगौड़ी पापड़ की सब्जी बनाना बता रहे हैं. मंगौड़ी का प्रयोग मैं बचपन से अपने घर में देखती आ रही हूँ. यह मारवाड़ी खाने की जान होती हैं. मंगौड़ी को मूंगदाल के पेस्ट से बनाया जाता है. बनाने के बाद मंगौड़ी को धूप में सुखाते हैं और फिर इसे डिब्बे में स्टोर कर सकते हैं और ज़रूरत के अनुसार इसका प्रयोग किया जा सकता है. इस सब्जी की एक और खासियत है कि यह मधुमेह वाले भी खा सकते हैं....
चटनी के आलू, जितना आसान नाम है उससे भी ज़यादा आसान बनाना. यह ख़ासतौर पर कानपुर की चाट है. शायद आपको यकीन ना हो लेकिन वहाँ के बहुत प्रसिद्ध शॉपिंग बाज़ार, नवीन मार्केट में एक ठेला खाली चट्नी के आलू का लगता है, और तकरीबन दो घंटे में ही उसका ठेला बिल्कुल खाली हो जाता है. अब आप अंदाज़ा लगा सकते हैं इस चटनी के आलू की प्रसिद्धि की........
समोसे की प्रसिद्धि देश-विदेश तक है. पारंपरिक मसालेदार आलू भर कर बनाए गये समोसे इस हद तक प्रसिद्द है कि बॉलीवुड के गाने भी इस पर बन गए जैसे जब तक समोसे में आलू रहेगा... समोसा चाट उत्तर भारत की बहुत प्रसिद्द चाट है.इसको बनाने के लिए हम छोले के साथ समोसे को सर्व करते हैं और इसके ऊपर धनिया की चटनी, मीठी चटनी, दही आदि से इसे सजाकर परोसते हैं. आगे पढ़ें ...
मैं संतुलित और पौष्टिक आहार में यकीन रखती हूँ, और इस बात का ध्यान रखती हूँ कि बच्चो के डब्बे में फल और मुख्य खाने में संतुलन हो, जिससे कि उन्हे कारबोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, रेशे, और खनिज इत्यादि संतुलित रूप से मिल सके. इसलिए मैं बच्चों के खाने में एक हिस्सा फल का, एक हिस्सा मुख्य खाने का, और एक छोटा सा हिस्सा मिठाई का रखती हूँ.
चाइनीज खाना पूरी दुनिया में बहुत मशहूर है. वैसे तो चाइनीज खाने में बहुत ज़्यादा शाकाहारी खाना नही होता है, लेकिन फिर भी मीट के साथ-साथ चाइनीज खाने में बहुत सारी सब्जियों का प्रयोग भी होता है. पारंपरिक चाइनीज खाने के बहुत सारे फ़ायदे भी हैं, जैसे कि चाइनीज खाने में आम तौर पर स्टिर फ्राइयिंग विधि का इस्तेमाल किया जाता है. इसका मतलब है कि सभी सामग्री को पतला और लच्चे में काटकर, तेज आँच पर बस बहुत
कुछ डिश ऐसी होती हैं जिनको किसी विशेष प्रकार की रोटी या किसी और चीज़ के साथ सर्व करो तो ज़्यादा स्वाद देती हैं. तो फिर वो एक दूसरे के पूरक बन जाते हैं - जैसे कि, छोले भटूरे, सरसों का साग और मक्के की रोटी, पाव-भाजी, कढ़ी-चावल, राजमा-चावल, छोले चावल, इडली और सांभर..
इतालवी खाना बेहद लोकप्रिय है. पिज़्ज़ा, पास्ता, रैवियोली, स्पगेति, तरह तरह की स्वादिष्ट ब्रेड, सलाद, केक, पेस्ट्री ... और भी बहुत कुछ .. आपके मुँह में पानी भर लाएँ यह पकवान. पिज़्ज़ा तो अब सब जगह मिलता है...