चॉकलेट |डार्क चॉकलेट | कोको पाउडर

Share
Read this page in English

क्या आप जानते हैं दुनिया का सबसे पसंदीदा खाद्य क्या है? अगर आपका जवाब है पिज्जा, फ्रेंच फ्राइज, बर्गर, केक- तो आपका अनुमान यह गलत है। दुनिया भर में सबसे ज्यादा पसंद किया जाता है चॉकलेट!

चॉकलेट शाकाहारी है यानि कि यह पेड़ से आती है। चॉकलेट के फल Theobroma cacao (तेओब्रोमा ककाओ) नाम के पेड़ से निकाले जाते है। यह पेड़ माया सभ्यता के समय से है तो यह अत्यंत प्राचीन है। ककाओ के फल बड़े होते हैं और फल के अन्दर कई बीज होते हैं। इन्हीं बीजों को सुखा कर और पीस कर इससे चॉकलेट बनाई जाती है। ककाओ का फल पीला-लाल सा होता है। पिछले साल हम मेक्सिको घूमने गए थे जहाँ हम एक चॉकलेट फैक्ट्री भी गए थे। वहाँ हमने चॉकलेट के फल देखे जो कई रंग का मिश्रण थे और काफी बड़े थे। नीचे फोटो में मेक्सिकन बाला ककाओ का फल पकड़े है।

cacao

चॉकलेट के सन्दर्भ में दो नाम आते हैं कोको (cocoa) और ककाओ (cacao)। अब इसका मतलब भी समझ लेते हैं। चॉकलेट के पेड़ को ककाओ कहते हैं लेकिन जब इसके बीज को निकालकर सुखा लेते है तो इसे कोको कहते हैं और चॉकलेट कोको बीन्स (बीज) से ही बनती है।

मेक्सिको की एक चॉकलेट फैक्ट्री में कोको के बीज को सिल बट्टे में ताजा पीसकर इसमें शहद और भुना रामदाना मिलाया जा रहा है ग्राहकों को टेस्ट करवाने के लिए!

cacao

कोको बीन्स के गुण

  • शायद आपको पता न हो लेकिन कोको बहुत गुणकारी बीज है। बाजार में कोको का पाउडर भी मिलता है जिसका इस्तेमाल केक, शेक, मूस आदि बनाने में किया जाता है।
  • कोको बीन्स में काफी मात्रा में कैलोरी होती है क्योंकि नारियल के जैसे इसमें भी चिकनाई होती है जिसे कोको बटर कहते हैं। कोको पाउडर बनाने से पहले इसकी चिकनाई यानि कि कोको बटर को हटाया जाता है, जिससे इसका फैट काफी हद तक निकल जाता है। लेकिन चॉकलेट बनाने में कोको बटर का प्रयोग होता है।
  • कोको के बीज बहुत कड़वे होते हैं। आमतौर पर कोको, कॉफ़ी से बहुत ज्यादा कड़वा होता है। कोको में इस कड़वाहट की वजह है पॉलीफेनोल जो कि फायटोन्यूट्रीएंट (phytonutrient) है। इस कड़वाहट की वजह से ही सीधे कोको से बनी चॉकलेट खाना मुश्किल है। इसीलिए चॉकलेट में शक्कर, दूध और अन्य स्वाद मिलाये जाते हैं।
  • कोको में कई प्रकार के एंटीऑक्सीडेंट हैं जो किसी और बीज में नहीं होते।
  • कोको में घुलनशील रेशे भी होते हैं जिन्हें स्वास्थ्य की दृष्टि से अच्छा बताया जाता है।
  • कोको में कुछ मात्रा कैफीन की भी होती है। यह कॉफ़ी के मुकाबले बहुत कम है। कैफीन की वजह से** **चॉकलेट को मूड बूस्टर भी माना जाता है।
  • कोको में कई प्रकार के खनिज भी पाए जाते हैं जिनमें मुख्य रूप से कैल्शियम, लोहा और फास्फोरस अधिक मात्रा में होते हैं।

डार्क चॉकलेट के लाभ

चॉकलेट, खासतौर पर डार्क चॉकलेट, को स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा बताया जाता है।

कोको में फ्लावनोल (flavanol) होता है जो कि केवल पेड़ पौधों से आने वाले खाद्य पदार्थों में ही होता है और यह खून के बहाव को नियंत्रित रखता है, जिससे ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता। कोको को ह्रदय के लिए भी अच्छा बताया गया है और यह कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित रखता है।

एक आम धारणा है कि चॉकलेट खाने से मोटे हो जाते हैं लेकिन इसके पीछे की सच्चाई समझनी आवश्यक है। मोटापे का कारण है शक्कर और कंडेंस्ड मिल्क जो आमतौर पर चॉकलेट में बहुतायत में होती है। इसीलिए अगर हम अपने वजन पर काबू रखना चाहते हैं तो हमें शक्कर पर काबू रखना होता है तो ऐसी सूरत में डार्क चॉकलेट खाएं। कितनी डार्क? अब यह तो आप पर है कि आप कितनी कड़वी चॉकलेट खा सकते हैं- ५०% या फिर ७०% या फिर ८०% अगर आप ७०% चॉकलेट का चयन करते हैं तो इस प्रतिशत का अर्थ है कि चॉकलेट में ७०% कोको है और बाकी के ३०% में शक्कर और दूध इत्यादि हैं।

dark chocolate

तो डार्क चॉकलेट बहुत गुणकारी है जो वजन को बढ़ाने की जगह नियंत्रित ही रखती है अगर सीमित मात्रा में खाई जाये तो।

आयुर्वेद में भी कहते हैं कि भोजन में एक कड़वी चीज जरूर होनी चाहिए!

The bitter is better! अब चॉकलेट कौन सी चुननी है यह आप पर है!

कुछ व्यंजन कोको पाउडर से बने